के एम जॉसफ, पी सुलोचनन, एम ई जॉन, वी. एस. सोमवंशी, के एन वी नायर तथा एन्टनी जॉसफ
वेड्ज बैंक के तलमज्जी संसाधन जिसका क्षेत्र लगभग 3600 वर्ग मील है, का अध्ययन अक्तूबर 1981-अप्रैल 1983 के बीच के दौरान किया गया था। तलमज्जी ट्रॉलर मत्स्य निरीक्षणी ने औसतन 20 दिनों की अवधि का क्षेत्र में 669 हॉल प्रचालित कर तथा वास्तविक नमूना लेने में 1407 घंटे लगाकर कुल 17 क्रूस प्रारंभ किए। प्रतिशत संयोजन का विश्लेषण यह प्रकट करता है कि उत्तर पूर्वी क्षेत्र से पेर्चस का उच्चतम प्रतिशत प्राप्त हुआ है, जबकि नेमिप्टेरिड्स दक्षिण पश्चिम, पश्चिम तथा पूर्वी क्षेत्रों में प्रमुख है। गहराई तौर पर विश्लेषण यह दर्शाता है कि थ्रेड फिन ब्रीम 128-183 मी. तक की बढ़ती गहाराई के साथ उच्च घनत्व का स्पष्ट प्रवृत्ति दर्शाती है। बढ़ती हुई गहराई के साथ सेफेलोपोड्स तथा केरन्गिड्स की अवनति दर्शाती है। पैदावार पैटर्न में स्पष्ट मौसमी परिवर्तन अधिकांश सभी प्रजातियों में अवलोकन किया गया। पेर्चस अगस्त में अधिकतम पैदावार के साथ तीसरी तिमाही के दौरान उच्च पकड़ दर रिकार्ड की गई । आगे शोषण के लिए बेहतर अवसर का सुझाव देते हुए अपवाद स्वरुप मार्च 1983 में दक्षिण-पूर्व क्षेत्र से 183-223 मी. गहराई में अत्यंत उच्च पकड़ दर (167.7 कि.ग्रा. प्रति घंटा ) दर्ज की गई ।
के. एम. जॉसफ
इस बुलेटिन में 1970-71 से 1979-80 तक की अवधि के दौरान 11 बेस कार्यालयों से प्रचालित 17.5 मी. ट्रॉलरों द्वारा भारतीय तट के समीप तलमज्जी मात्स्यिकी संसाधनों का संग्रहित आंकडों से व्यापक वर्णन प्रस्तुत किया है। पकड़ प्रति यूनिट प्रयत्न पर प्राप्त आंकड़ा, मौसमी एवं पकड़ संयोजन चार्ट, चित्र तथा सारणी के फार्म में आसानी से देखने लायक बनाने हेतु प्रस्तुत किया है। पश्चिमी तट में 80 मी. गहराई तक प्रमुख ग्रूप के रुप में केट फिश के साथ उच्च पकड़ दर प्राप्त हुई जबकि पूर्वी तट में 20-60 मी. गहाराई क्षेत्र में पेर्चस एवं लियोग्नाथिड्स की उच्च पकड़ दर दर्शाई। सुग्राहिता क्षेत्र (स्वेप्ट क्षेत्र) प्रणाली के आधार पर 75 मी. गहराई के अंदर तलमज्जी मात्स्यिकी संसाधनों का संभाव्य उपज 16,79, 000 टन अनुमानित किया है।
एम. स्वामीनाथ
1978-79 के दौरान विविध विनिर्देशन के 23 जलयानों के साथ बोट्टम ट्रॉलिंग तथा पेलाजिक और अन्य विविधीकृत मत्स्यन प्रणालियाँ जैसे पर्स सीनिंग, टूना लाँग लाइनिंग द्वारा लगभग 39,000 वर्ग कि. मी. क्षेत्र का सर्वेक्षण किया गया तथा चयनित बेस कार्यालयों से 3,000 वर्ग कि. मी. क्षेत्र ट्रॉलिंग किया गया। इन सर्वेक्षणों का परिणाम बुलेटिन में विचार विमर्श किया है। परिणाम यह दर्शाता है कि पश्चिमी तट में इलास्मोब्रान्चस प्रमुख ग्रूप रही जबकि पूर्वी तट में मुख्य पकड़ में केट फिश शामिल रही। विविध भौगोलिक भाग में प्रमुख ग्रुप रही जबकि पूर्वी तट में मुख्य पकड़ में केट फिश शामिल रही। विविध भौगोलिक भाग में प्रमुख प्रकार का सापेक्ष प्रचुरता तथा गहराई क्षेत्र तथा पकड़ के गुण तथा मात्रा के संबंध में मौसमी परिवर्तन की भी चर्चा की गई। मुम्बई क्षेत्र के समीप उत्पादक क्षेत्र 30-39 मी. गहराई के बीच है और उच्च पैदावार माह दिसंबर एवं फरवरी है। पूर्वी तट में विशाखापट्टणम क्षेत्र से पर्याप्त पकड़ दर्ज किया गया तथा 60-69 मी. उत्पादक क्षेत्र के रुप में पहचान किया है। जनवरी में उच्च पकड़ दर रिकार्ड की गई। पर्स सीनिंग, लाँग लाइनिंग, ट्रॉलिंग एवं मध्य जल ट्रॉलिंग का भी प्रयास किया गया तथा इसका परिणाम आशाजनक रहा है।
डी. सुदर्शन
इस बुलेटिन के बनाने का आधार अण्डमान द्वीपो के चारों ओर विविध मत्स्यन प्रणालियों का प्रयोग कर तीन पोतों द्वारा संचालित सर्वेक्षण का परिणाम है। इस अवधि के दौरान, कुल 2420.3 घंटे मत्स्यन प्रयास व्यतित किए गए। अपनाए गए पाँच मत्स्यन प्रणालियों में से, लगभग 50% प्रयास बोट्टम ट्रॉलिंग द्वारा हुआ है, जो कि अण्डमान एवं निकोबार जल में इस प्रणाली के लिए संभावना सूचित करता है। लियोग्नाथिड्स, साइनिड्स, उपिनोइड्स, इलास्मोब्रोन्च, केट फिश तथा पेर्चस पकड़ के मुख्य घटक रहे। पकड़ का मौसमी प्रचुरता अक्टूबर से मार्च तक की अवधि, अन्य अवधि की तुलना में सामान्यतः अधिक उत्पादन दर्शाता है। अपनाए गए मत्स्यन प्रणालियों में कलवा के लिए लाँग लाइनिंग, ट्रॉलिंग तथा हैंड लाइन से बेहतर परिणाम उत्पन्न हुआ। सुग्राहिता क्षेत्र प्रणाली के आधार पर तलमज्जी संसाधनों का स्टॉक निर्धारण बनाया है । स्थायी पैदावार लगभग 2.78 टन/वर्ग मी. परिकलित किया है। तलमज्जी संसाधनों के कुल स्थायी पैदावार 44,576 मेट्रिक टन आकलित किया है, जो कि पूर्व लेखकों द्वारा गणित आंकड़े का लगभग 10 गुना के बराबर है।
एम. स्वामीनाथ
इस बुलेटिन में वर्ष 1977-78 के दौरान परियोजना द्वारा संचालित मात्स्यिकी संसाधन सर्वेक्षण के परिणाम की चर्चा हुई है। बारह बेस कार्यालयों से बाईस पोतों ने तलमज्जी मात्स्यिकी संसाधन का सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण प्रक्रिया के दौरान पोत से 1,134 टन मछलियाँ एवं झींगा अवतरित हुई। ट्रॉल पकड़ का संयोजन प्रत्येक क्षेत्र में सापेक्ष प्रचुरता तथा प्रमुख ग्रूप के बेथिमेट्रिकल तथा मौसमी उतार चढ़ाव प्रत्येक क्षेत्र के लिए विश्लेषित किया गया। मई माह में पश्चिमी तट में कान्डला क्षेत्र से पकड़ के प्रमुख घटक के रुप में इलास्मोब्रान्चस सहित 269 कि. ग्रा. प्रति घंटा उपज पाया गया। पूर्वी तट से प्राप्त ट्रॉल पकड़ के मुख्य घटक पेर्चस, रे एवं साइनिड्स रही, जो कि जुलाई-अगस्त माह में उपज का बेहतर पकड़ पाया गया। अन्य गहराई की तुलना में 20-30- मी. गहराई क्षेत्र अधिक उत्पादक रहा। लाँग लाइनिंग एवं ट्रॉलिंग से भी प्रोत्साहजनक परिणाम प्राप्त हुआ।
एम. स्वामीनाथ
इस बुलेटिन में 1976-77 के दौरान परियोजना के पोतों के विविध वर्गों द्वारा अक्षांश 7 0˚ उ-20˚ 0उ. तथा देशांतर 76˚ पू.-88˚ पू. के बीच क्षेत्र में संचालित समन्वेषी मात्स्यिकी सर्वेक्षण का परिणाम उल्लेख किया गया है। अवधि के दौरान लगभग 46,000 वर्ग कि. मी. क्षेत्र का सर्वेक्षण किया गया तथा लगभग 1806 टन श्रिम्प व मछली अवतरित हुई। विविध क्षेत्रों से प्राप्त ट्रॉल पकड़ में व्यवसायिक प्रमुख प्रजातियों का प्रतिशत संयोजन का अध्ययन किया गया। पश्चिम तट के सभी बेस कार्यालयों में से मैंगलूर में रानी फिश का प्रतिशत उच्च रहा। तूतिकोरिन क्षेत्र से पकड़ के लगभग 2/3 भाग पर्चस एवं इलास्मोब्रान्चस रही जबकि मद्रास से प्राप्त मुख्य ग्रुप लियोग्नथिड्स, इलास्मोब्रान्चस, पर्चस एवं पोमफ्रेट रही। संसाधन के सापेक्ष प्रचुरता एवं प्रमुख प्रजातियों की पकड़ दर के मासिक परिवर्तन की भी चर्चा की गई। उत्तर पश्चिम तट एवं निम्न पूर्वी तट अन्य क्षेत्रों से अधिक पैदावार योग्य बनाया गया। पोर्ट ब्लेयर से टूना लाँग लाइनिंग से औसत हुकिंग दर 3.8% हुई जो कि वाणिज्यिक प्रचालन के लिए योग्य है।
के. एम. जॉसफ, एन राधाकृष्णन तथा के पी फिलिप
1957-1974 की अवधि के दौरान दक्षिण पश्चिमी तट से दूर तलमज्जी संसाधनों के अध्ययन के लिए इ एफ पी जलयानों के द्वारा किए गए प्रयासों को प्रस्तुत किया गया है। प्रचालन का क्षेत्र अक्षांश 7˚ उ तथा 15˚ उ. तथा देशांतर 73 पू. तथा 78 पू. के बीच रहा तथा कुल अध्ययन क्षेत्र 80,000 वर्ग कि. मी. था। सर्वेक्षण में विविध आकारों, अश्व शक्ति, टन आदि के अठारह पोतों को नियुक्त किया गए। प्रचालन क्षेत्र में तीव्र नमूने का वितरण, सामान्यतः तलमज्जी संसाधनों का विस्तृत रुप में विश्लेषित किया तथा प्रस्तुत किया गया । वास्तविक मत्स्यन के कुल 29,400 घंटों में, लगभग 65% 20-39 मी. के अंदर के क्षेत्र में व्यतीत किया गया 10-19 मी. तथा 40-59 मी. में नमूने की तीव्रता कुल मत्स्यन प्रयास के क्रमशः 23% तथा 10% के क्रम में था। गहराई एवं क्षेत्र द्वारा पकड़ संयोजन के संबंध में किए गए विश्लेषण से कुछ रोचक अवलोकन प्रकट हुआ है। अध्ययन किए गए विविध क्षेत्रों से 20 मी. के नीचे के क्षेत्र से प्रचुर मात्रा में झींगा की उपस्थिति 40-59 मी. में इलास्मोब्रान्चसः 20-39 मी. में किलिमीन तथा लेक्टारियस, 40-79 मी. में केट फिश की उपस्थिति देखी गई, इस तरह भविष्य में शोषण के लिए संसाधन का अनुमान प्राप्त हुआ।
के. एम. जॉसेफ
बुलेटिन में 1975-76 के दौरान परियोजना द्वारा संचालित समन्वेषी सर्वेक्षण का परिणाम दिया है। अध्ययन के इस अवधि के दौरान परियोजना ने 22 स्टील ट्रॉलरों का प्रचालन किया गया जिसमें से 19 ट्रॉलर 17.5मी. के देशी निर्मित ट्रॉलर थे। ये पोतें, परियोजना के ग्यारह बेस अर्थात कान्डला, मुम्बई, गोवा, मैंगलूर, कोचिन, तूतिकोरिन, मद्रास, विशाखपट्टणम, पाराद्वीप, कोलकत्ता तथा पोर्ट ब्लेयर से प्रचालित कियें गये थे । सर्वेक्षण कार्यक्रम में समन्वेषी एवं प्रयोगात्मक बॉट्टम ट्रॉलिंग द्वारा तलमज्जी मात्स्यिकी संसाधन तथा कलवा हैंड लाइन मत्स्यन तथा पर्स सीनिंग, मध्य जल ट्रॉलिंग, टूना लाँग लाइनिंग तथा ट्रॉलिंग नियुक्त कर पेलाजिक संसाधन सर्वेक्षण शामिल है। इसके अतिरिक्त विशेष श्रिम्प सर्वेक्षण कार्यक्रम भी गोवा, मँगलूर, कोचिन, विशाखापट्टणम एवं पाराद्वीप से संचालित किया गया। सर्वेक्षण में प्रयुक्त मत्स्यन प्रणाली एवं गियर तथा सामान्यतः संसाधनों का सापेक्ष प्रचुरता तथा क्षेत्र, गहराई तथा समय के विशेष संदर्भ के साथ वाणिज्यिक प्रमुख प्रजातियों का विवरण की भी चर्चा की गई।
के. एम. जॉसफ, एन राधाकृष्णन, एन्टनी जॉसफ तथा के पी फिलिप
भारत के पूर्वी तट में अक्षाश 8˚ उ और 22˚ उ तथा देशांतर 78˚ पू. तथा 90˚ पू. के बीच 1959-74 की अवधि के दौरान समन्वेषी मात्स्यिकी परियोजना द्वारा संचालित मात्स्यिकी संसाधन परिणाम बुलेटिन में प्रस्तुत है। विविध अश्व शक्ति युक्त चौबीस पोतें सर्वेक्षण के लिए नियुक्त किए गए। निम्न एवं ऊपरी पूर्वी तट के समीप तलमज्जी मात्स्यिकी संसाधनों का सापेक्ष प्रचुरता मद्रास से दूर सर्वेक्षित लगभग सभी क्षेत्रों में झींगा का पकड़ दर नगण्य पाई गई तथा निम्न पूर्वी तट के दक्षिण भाग में सापेक्ष उच्च प्रचुरता के साथ पर्चस का पकड़ दर 2 से 49 कि.ग्रा. प्रति घंटा के आसपास रहा। निम्न एवं उच्च पूर्वी तट के समीप विविध प्रजातियों के चरम प्राप्ति सूचित करते हुए प्रमुख मछलियों की पकड़ दर में मासिक परिवर्तन प्रस्तुत किया है। वर्तमान अध्ययन पूर्व विश्वास की तुलना में यह दर्शाता है कि ऊपरी पूर्वी तट निम्न पूर्वी तट से अधिक उत्पादक है तथा शेल्फ क्षेत्र से कुल संभावित उपज पूर्व कर्मियों द्वारा अनुमानित से भी अधिक होने की संभावना है।
के. एम. जोसेफ
22 पोतों के प्रचालन द्वारा 30-100 मी. गहराई के बीच 30 फैदम के अन्दर लगभग 22,000 वर्ग कि.मी. न खोजे गए क्षेत्र तथा 2000 वर्ग कि.मी का सर्वेक्षण किया गया। 1974-75 के लिए सर्वेक्षण कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण विशेषता समन्वेषी एवं परीक्षणात्मक मत्स्यन के बीच बनाए गए सीमांकन था। परीक्षणात्मक मत्स्यन के अंतर्गत आठ 17.5 मी. देशी निर्मित पोतों द्वारा कान्डला, मुम्बई, गोवा, मैंगलूर, तूतिकोरिन तथा मद्रास से तलमज्जी ट्रॉलिंग संचालित करते थे, पोर्ट ब्लेयर से टूना लॉग लाइनिंग एवं ट्रॉलिंग संचालित करते थे, तथा गोवा एवं पोर्ट ब्लेयर से कलवा तथा हैंड लाइन मत्स्यन प्रारंभ किए थे। विशाखापट्टणम तथा कोचिन से विशेष श्रिम्प सर्वेक्षण कार्यक्रम किए गए। इन सर्वेक्षण कार्यक्रमों के परिणामों की चर्चा हुई। अध्ययन काल के दौरान, उच्च पकड़ दर उत्तर पूर्वी क्षेत्र से अवलोकन किया गया। गहराई तौर पर अध्ययन से यह पता चला कि 100 मी. से बाहर गहराई में प्रजाति प्रचुरता उच्च थी। पकड़ में उच्च प्रतिशत कै़ट फिश, धोमा, ईल तथा करकरा रही।