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बुलेटिन

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बुलेटिन सं. 31* (2015)

भारत के पूर्वी तट पर तलमज्जी मात्स्यिकी संसाधन- एक अद्यतन

भारत के पूर्वी तट पर तलमज्जी मात्स्यिकी संसाधन- एक अद्यतन

बुलेटिन सं. 29* (2008)

भारतीय समुद्र में लॉग लाइन मात्स्यिकी में विनाश (ड्रिप्रिडेशन)

एस वर्गीस, वी. एस. सोमवंशी एवं सिजो पी वर्गीस

पेलाजि् लॉग लाइन गियरों पर पकडी गई मछलियों का ड्रिप्रिडेशन वैश्विक असाधारण घटना है, जो कि राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर से संबंधित मामलों को संबोधन करने हेतु वैज्ञानिकों एवं मछुआरे समुदायों का ध्यान आकर्षित करता है। 2000-06 के दौरान भारतीय मात्स्यिकी सर्वेक्षण टूना लॉग लाइन पोतों के सर्वेक्षण क्रूस के दौरान संग्रहित ड्रिप्रिडेशन आँकडों का विश्लेषण किया गया तथा अ आ क्षे के तीन क्षेत्रों अरब सागर, अंडमान एवं निकोबार समुद्र एवं पूर्वी तट, में क्षेत्रवाद डिप्रिडेशन दर, डिप्रिडेशन क्रूस के संदर्भ में डिप्रिडेशन सेट तथा संपूर्ण प्रचालन हेतु परिकलित एवं प्रस्तुत किया है। भारतीय अनन्य आर्थिक क्षेत्र के लिए डिप्रिडेटड समुद्री मात्रा के लिए परिकलित डिप्रिडेशन दर 2.76% है (मछलियों की संख्या द्वारा) तथा प्रिडेटड सेट से संबंधित मूल्य में लगभग 16.23% ( संख्या द्वारा) पाया गया। जैसे सूचक विभिन्न प्रकार का था, विविध वर्षों एवं महीनों में डिप्रिडेशन में कोई विशेष प्रवृत्ति नही दिखाई दी । डिप्रिडेशन दर में गियर प्रकार अर्थात् मोनोफिलमेंट या मल्टीफिलमेंट गियर से सीधा संबंध भी नहीं देखा गया। अधिक प्रभावित प्रजातियाँ टूना, स्वोर्ड फिश, सेईल फिश एवं सीर फिश हैं । लाइन पर हूक की गई सभी प्रजातियाँ, डिप्रिडेशन के अधीन लेकिन विविध अनुपात में पाई गई। अतः डिप्रिडेशन न प्रजाति विशिष्ट समय विशिष्ट प्रकट हुआ। तीन विविध क्षेत्रों में, डिप्रिडटड समुद्री यात्रा हेतु अंडमान एवं निकोबार समुद्र में डिप्रिडेशन दर (2.99% ) अधिक पाई गई । इसके बाद अरब सागर (2.57%) तथा बंगाल की खाड़ी (2.08%) इसी तरह अण्डमान एवं निकोबार समुद्र के लिए डिप्रिडेटड सेट का सूचना 17.06% अरब सागर के लिए 14.15% तथा बंगाल की खाड़ी के लिए 12.5% पाए गए।

बुलेटिन सं. 30* (2008)

भारतीय अनन्य आर्थिक क्षेत्र में महासागरीय टूना एवं संबंधित संसाधनों के पैदावर हेतु मोनोफिलमेंट लॉग लाइन प्रौद्योगिकी का आरंभ

वी. एस. सोमवंशी, एस. वर्गीस एवं सिजो पी वर्गीस

नई प्रौद्योगिकी का आरंभ से प्रकाशित नए संसाधनों का पता लगाने के लिए गहन समुद्र की खोज़ तटीय राष्ट्रों को मछली उत्पादन बढ़ाने में मद्द करती है । भारतीय समुद्रों में मोनोफिलमेंट लाँग लाइनिंग प्रौद्योगिकी को आरंभ एवं लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से, भारतीय मात्स्यिकी सर्वेक्षण ने मत्स्य वृष्टि एवं मत्स्य दृष्टि नाम का दे। मोनोफिलमेंट लाँग लाइन प्राप्त किया है जो कि भारतीय अनन्य आर्थिक क्षेत्र के भीतर पश्चिमी तट के समीप अरब सागर तथा पूर्वी तट में बंगाल की खाड़ी एवं अंडमान एवं निकोबार समुद्र में क्रमशः सर्वेक्षण हेतु परिनियोजित किया जाता है। परम्परागत मल्टीफिलमेंट गियर के साथ आधुनिक मोनोफिलमेंट गियर की दक्षता का मूल्यांकन हेतु उक्त अवधि के दौरान दो गियरों की तुलना का प्रयास इस बुलेटिन में किया है। स्पेशियों-टेम्परल विभिन्नता प्रदान करने के अतिरिक्त, मोनोफिलमेंट और परम्परागत मल्टीफिलमेंट द्वारा हूक की गई मछलियों की तुलना में प्रत्येक प्रजाति की मछली का आकार एवं वजन पर सूचना प्रस्तुत करने हेतु प्रयास किया गया है। 2005-07 के दौरान पश्चिम तट के समीप अरब सागर में संचालित मोनोफिलमेट लाँग लाइन सर्वेक्षण का परिणाम से सभी मछलियों के लिए कुल एच आर 1.1% तथा येल्लोफिन टूना के लिए 0.37% एच आर, जहाँ कुल पकड के 40% में यह प्रजाति सम्मिलित रही। टूना एवं संबंधित प्रजातियों का स्पेशियल वितरण 18˚ उ से दूर अक्षांशों में उच्च हूकिंग दर दर्शाती है। अक्षांश 22˚ उ के 22-67 क्षेत्र से सभी मछिलियों के लिए उच्च एच आर 10.5% तथा केवल वाइ एफ टी के लिए 10.4% दर्ज किया गया। इस तट के समीप येल्लोफिन टूना के लिए मौसमी अनुकूल अप्रैल-दिसंबर, चरम माह अप्रैल, मई एवं अगस्त अवलोकन किया गया। पूर्वी तट ( बंगाल की खाड़ी) के समीप सर्वेक्षण से सभी मछलियों के लिए एच आर 1.01% वर्ष 2005-06 के दौरान एवं 0.85% 2006-07 के दौरान प्राप्त हुई । येल्लोफिन टूना के लिए औसत एच आर पकड़ के 0.41% एवं 51.5% था जिसमें टूना शामिल था । हूकिंग दर में मौसमी परिवर्तन पूर्वी तट के समीप टूना फिशिंग के लिए जून से दिसंबर की अवधि अच्छा समय दर्शाता है। पूर्वी तट के समीप येल्लोफिन टूना का स्पेशियल वितरण सूचित करता है कि येल्लोफिन टूना के लिए उच्च हूकिंग दर के कुछ क्षेत्र 13-80 (0.9%), 15-82(0.71%), 16-82, 16-83(1.2%प्रत्येक) तथा 17.83 (0.88%) है। भारतीय अनन्य आर्थिक क्षेत्र में दो वर्ष की अवधि के दौरान दोनों पोतों से औसत हूकिंग दर 0.93% प्राप्त हुई । अरब सागर येल्लोफिन एवं बंगाल की खाड़ी में ब्लू मार्लिन द्वारा किए गए मल्टीफिलमेंट लाँग लाइनिंग के प्रचालन के परिणामों की तुलना यह दर्शाता है कि मोनोफिलमेंट लाँग लाइनिंग में प्राप्त हूकिंग दर उच्च थी। सामान्यतः कुल एच. आर. (हूकिंग दर) में बढत, शार्क की हूकिंग दर में महत्वपूर्ण कमी के साथ विशेषकर टूना के लिए मोनोफिलमेंट प्रचालन के दौरान देखा गया।

बुलेटिन सं. 28* (2005)

अण्डमान एवं निकोबार द्वीपों के चारों ओर भारतीय अनन्य आर्थिक क्षेत्र के मात्स्यिकी संसाधन

एम ई जॉन, ए. के. भार्गव, एस वर्गीस, डी के गुलाटी, अशोक एस कदम एवं एस. के. द्विवेदी

अण्डमान एवं निकोबार द्वीप समूह बंगाल की खाड़ी के दक्षिण में अक्षांश 6˚ 45' उ एवं 13˚ 41' उ एवं देशांतर 92' 12' पू. तथा 93˚ 57' पू के बीच स्थित है। कुल तटीय रेखा की लम्बाई 1962 किमी है, जो कि भारत के तटीय रेखा के लगभग एक चौथाई है। द्वीपों के अनन्य आर्थिक क्षेत्र 0.6 मिलियन किमी2 का क्षेत्र घेरा हुआ है जो कि अनन्य आर्थिक क्षेत्र के लगभग 30 प्रतिशत है।

मात्स्यिकी द्वीपों के एक मुख्य नैसर्गिक संसाधन है। द्वीप के जल में मछलियों की 1200 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती है।

यद्यपि, विगत में विविध विशेषज्ञ समूह एवं टास्क फोर्स द्वारा विकास योजनाएं प्रस्तावित की गई थी। विनिश्चित प्रयास अब तक किया जाना है तथा अधिकांश तौर पर अण्डमान एवं निकोबार जल के मात्स्यिकी संसाधन अशोषित रह गया है।

भारतीय मात्स्यिकी सर्वेक्षण ने विविधीकृत प्रणालियों द्वारा अण्डमान एवं निकोबार जल में तलमज्जी, नेरिटिक, पेलाजिक एवं महासागरीय संसाधनों के समन्वेषी सर्वेक्षण किया है। पिछले तीन दशकों के दौरान किए गए सर्वेक्षण से द्वीप समूहों के चारों ओर अनन्य आर्थिक क्षेत्र में फसल लेने योग्य संसाधनों का संयोजन एवं महत्व पर बहुत अमूल्य सूचना प्रदान की है।

इस बुलेटिन में अब तक किए गए संसाधन सर्वेक्षण के आधार पर अण्डमान एवं निकोबार जल में समुद्री मात्स्यिकी संसाधनों पर अद्यतन सूचना प्रदान की है। संसाधन संभाव्यता का पुनः निर्धारण किया है तथा विकासात्मक संभावनाओं की भी चर्चा की है।

बुलेटिन सं. 27* (2000)

भारतीय अनन्य आर्थिक क्षेत्र के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में महासागरीय टूना संसाधन

के गोविन्दराज, एम ई जॉन, प्रेमचन्द, एन उन्निकृष्णन, जेकब थॉमस एवं वी एस सोमवंशी

भारतीय अनन्य आर्थिक क्षेत्र से समुद्री मछली उत्पादन बढाने के लिए महासागरीय टूना एवं संबंधित स्टॉक मुख्य संसाधन आधार बना है। टूना संसाधनों के उपयोग आगे बढाते हुए सही जानकारी उत्पन्न करने के लिए भारतीय मात्स्यिकी सर्वेक्षण टूना लाँग लाइनिंग द्वारा गहन तैराई बड़े पेलाजिक के सर्वेक्षण किया जाता है। 1996-98 के दौरान भारत के उत्तर-पश्चिमी तट के समीप पोत येल्लो फिन पर किए गए सर्वेक्षण का परिणाम इस बुलेटिन में सम्मिलित है।

बुलेटिन सं. 26* (1998)

भारतीय समुद्र में मात्स्यिकी जीव विज्ञान में योगदान

वी एस सोमवंशी, एम ई जॉन (इ डी एस)

शोध पर्ची-1. भारत के उत्तर पूर्वी तट से धारीदार गोट फिश उपिनियस विट्टाटस के कुछ जैविक पहलुओं का अध्ययन।

डी. एम. अली तथा के गोपालकृष्णन

इस शोध पर्ची में उत्तर पूर्वी तट से उपिनियस विट्टाटस के जीव विज्ञान पर कुछ पहलुओं को प्रस्तुत किया है। वॉन बरटलनफि वृद्धि प्राचल लू (Loo)=214 मि.मी, के (K) = 0.63 तथा टी (t) =0.05 के रुप में व्युत्पन्न हुआ। प्राप्त मार्त्यता गुणांक जेड (Z) = 3.6 तथा एम (M) = 0.8 है। लिंगानुपात, मादा की प्रधानता सूचित करती है। लम्बाई-वजन संबंध नियमानुसार परिकलित किया है।

नर (Males) लॉग (Log) डब्लू (W) = -4.7983 + 3.2071 लॉग (Log) एल (L)

मादा (Females) लॉग (Log) डब्लू (W) = -5.4934 + 3.4285 लॉग (Log) एल (L)

शोध पर्ची 2. गहन समुद्री लॉबस्टर प्यूरुलुस सेवेल्ली (रमडान) का लम्बाई-वजन संबंध, आकार वितरण एवं लिंगानुपात पर कुछ अवलोकन

पी पॉल पाण्डियन तथा जी के अव्हाड

गहन समुद्री स्पाइनी लाब्स्टर दक्षिण पश्चिम तट से प्यूरुलस सेवेल्ली का लम्बाई-वजन संबंध, आकार वितरण तथा लिंगानुपात की जाँच की गई। लम्बाई-वजन मापो में डब्ल्यू(w) = एल एल बी (aLb) समीकरण द्वारा सब से बेहतर पाया गया तथा प्राप्त संबंध निम्नानुसार है।

नर (Male) डब्ल्यू(W) = 0.0103 एल(L) 2.9625, मादा(Female) डब्ल्यू(W) = 0.0107 एल(L) 2.9402

मिश्रित (संयुक्त रुप में) ( Combined) डब्ल्यू(W) = 0.0101 एल (L) 2.9702

लाब्स्टर का आकार कुल लम्बाई में 104 से 192 मि मी के बीच रहा । नर के लिए मादक का अनुपात 1:1.29 था।

पर्ची - 3. भारत के ऊपरी पूर्वी तट से प्रियाक्रेंथस हेमरुर (फोरस्फल) का आहार एवं आहारी आचरण

के पी फिलिप

भारत के ऊपरी पूर्वी तट से प्रियाकिन्थस हेमरुर का आहार एवं आहारी आचरण पर एक अध्ययन से यह प्रकट होता है कि यह क्रस्टेशियन्स एवं टेलिओस्ट मछलियों को खाने वाली मांसाहारी प्रजाति है। पहचानयोग्य खाद्य पदार्थों में लगभग 60 प्रतिशत अलिमा, स्क्विल्ला, केकडा, झींगा तथा यूफोसिड्स जैसे क्रस्टेशियन्स शामिल है। टेलिओस्ट मछलियों में ब्रेगमेसेरोस प्रजाति, ईल प्रमुख थी। खाद्य घटक की प्रचुरता में मौसम का अध्ययन किया गया । गहरे जल से मछलियों में खाद्य की विविधता कम था । किशोर मछलियाँ छोटे क्रस्टेशियन्स को प्राथमिकता दी है। जनवरी से जून के दौरान भोजन मात्रा उच्च था और जुलाई से दिसंबर के दौरान निम्न था । परिस्थिति दशा परिपक्वता से भोजन मात्रा के साथ अच्छा संबंध दर्शाया है। पी हेमरुर एवं नेमिप्टेरिड्स जपोनिकस के आहार पदार्थों का तुलनात्मक अध्ययन आहार पदार्थों में अच्छी अतिव्याप्ति दर्शाई है।

पर्ची - 4. भारत के उत्तर पश्चिमी तट के समीप उपिनियस मोलुससेनसिस के आहार एवं आहारी आचरण पर अध्ययन

ए के भार्गव तथा वी एस सोमवंशी

भारतीय तट के समीप गौण मात्स्यिकी संगठित करने हेतु मुल्लिडे कुटुम्ब के गोट फिश का आर्थिक महत्व है। उत्तर-पश्चिम तट के समीप प्राप्त होने वाली रेड मुल्लेटों में उपिनियस मोलूकसेनसिट प्रमुख प्रजाति है। आहार एवं आहारी आचरण पर अध्ययन सूचित करता है कि यू मोलूससेनसिस के प्रमुख आहार श्रिम्प है। छोटे नमूनें, किशोर मछलियों एवं केकडों का भी उपयोग करते हैं। छोटे नमूनों की तुलना में 14 सेमी लम्बाई से ऊपर की मछलियाँ सक्रिय रुप से भोजन करती है।

पर्ची - 5. भारत के उत्तर पश्चिमी तट से दूर केट फिश अरियस तलरिसनस (रुप्पेल) के परिपक्वता एवं अंडजनन

मनाली ए परब

अरियस थलसिनस का परिपक्वता चक्र का विवरण दिया है। परिपक्व अंडाणू का 15-18 मि मी व्यास में, प्रथम परिपक्वता का आकार 36.0 सेमी है। अप्रैल से अगस्त के दौरान वर्ष में एक बार मछली प्रजनन करती है। 1:1.23 नर मादा अनुपात के साथ मादा प्रमुख है। जनन क्षमता प्रति मादा 34 एवं 88 अण्डाणु के बीच भिन्न है। नर द्वारा पैतृक देखभाल प्रदर्शित है।

पर्ची - 6. बंगाल की खाड़ी में येल्लो फिन टूना थुन्नस अलबकेरस का पुनरुत्पादक जीव विज्ञान पर कुछ पहलुएं

एम ई जॉन, एम नीलकण्डन, वी सिवाजी, बी प्रेमचनद, पी एस परसुरामन, एम के सजीवन तथा पी सिवराज

बंगाल की खाड़ी में लाँग लाइन गियर में प्राप्त येल्लो फिन टूना के पुनरुपादन जीव विज्ञान पर कुछ पहलुओं पर चर्चा की गई है। लिंगानुपात 2.45:1 के साथ नर प्रमुख है। 140 सेमी लम्बाई से ऊपर की बड़ी मछली में नर की प्रधानता बढती जा रही है तथा 160 सेमी लम्बाई से ऊपर सभी मछलियाँ नर है। चिवर्ग मूल्यके महत्वपूर्ण स्तर के साथ सभी ऋतुओं में लिंग अनुपात समनुरुप है। जनन सूची एवं समूह परिपक्वता सूची के संदर्भ में किए गए अध्ययन से परिपक्वता अध्ययन सूचित करता है कि प्रजाति नवम्बर से अप्रैल के दौरान पैदा होती है । इन्डो पेसिफिक महासागर के विविध क्षेत्रों में रिपोर्ट की गई प्रजातियों के अंडजनन ऋतु के साथ तुलना की है।

पर्ची - 7. उत्तर-पश्चिम भार तीय अनन्य आर्थिक क्षेत्र के समीप प्राप्त प्रियाकेन्थस हेमरुर का लम्बाई वजन संबंध

एस वर्गीस.

भारत के उत्तर-पश्चिम तट से प्रियाकेन्थस हेमरुर का लम्बाई वजन संबंध का आकलन किया है। प्राप्त परिणाम दर्शाता है कि नर के लिए घातांक 'बी' का मूल्य 2,6285 है मादा के लिए 2,8803 तथा संयुक्त दोनों लिंगो के लिए 2,7810 है। प्रजातियों की वृद्धि अलोमेट्रिक है। दक्षिण पूर्व एशियाई जल में प्राप्त होने वाली प्रियाकेंथिडे की विविध प्रजातियों का लम्बाई-वजन संबंध के साथ परिणाम की तुलना की जा सकती है।

पर्ची - 8. अक्रोपोमा जपोनिकम (गुन्थर 1859) : (पीसस, पेर्सिफोम्स एक्रोपोमटिडे) जीवन विज्ञान पर प्रारंभिक अध्ययन

एस के नाईक एवं डी ई उइके

एक्रोपोमाटिड्स गहन समुद्री मछलियाँ कभी कभी महाद्वीपीय छज्जा के समीप 100 मी. गहराई से दूर तलमज्जी पकड़ में पाई जाती है। मार्च-अप्रैल 1996 के दौरान भारत के मध्य पश्चिम तट से पकड़ी गई एक्रोयोमा जपोनिकम इस अध्ययन के लिए प्रयोग किया गया। नमूने का आकार 9.6-14.0 सेमी का आसपास रहा एवं वजन 8-34 ग्राम रहा। लम्बाई वजन संबंध डब्ल्यू =0.020416 एल 2.748689 है। मादा के पक्ष में लिंगानुपात 1:5.43 का अवलोकन किया गया छोटे व्यक्तियों में नर तथा बड़े आकार समूह में मादा प्रमुख रहे। प्रति ग्राम शरीर वजन औसत 208 अंडों के औसत सहित 471 से 5331 तक के बीच जनन क्षमता पाया गया। इन मछलियों का मुख्य आहार छोटे झींगा हैं।

पर्ची - 9. भारत के उत्तर पश्चिमी तट के समीप इण्डियन स्कड, डीकेप्टरिड्स रस्सेल्ली (रुप्पेल, 1830) में परिपक्वता एवं अंडजनन पर अवलोकन

ए वी तम्हणे एवं वी एस सोमवंशी

केरन्गिडे परिवार के इण्डियन स्क्विड, डीकेप्टरिड्स रस्सेल्ली एक वाणिज्यिक प्रमुख मछली है। दीर्घकालीन अंडजनन ऋतु के साथ इसका वर्ष में एक बार प्रजनन होता है। प्रथम परिपक्वता का न्यूनतम आकार 13.5 से.मी निर्धारित किया है अध्ययन की संपूर्ण अवधि के लिए लिंगानुपात 1:1.2 है। अध्ययन की अवधि के दौरान मादा प्रमुख पाई गई।

बुलेटिन सं. 25* (1995)

गुजरात तट से समुद्री मात्स्यिकी संसाधन

ए के भार्गव, एस वर्गीस, वी.वी नाइक तथा एम ई जॉन

भारत के समुद्रवर्ती राज्यों में गुजरात की सबसे लम्बी लटीय रेखा तथा विस्तृत छज्जा क्षेत्र है। दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान समुद्री जल का निचली सतह से ऊपरी सतह पर आना तथा साबरमती, ताप्ती एवं नर्मदा नदियों का अप्रवाह से अपतट क्षेत्र समृद्ध बना है। यह क्षेत्र में कुछ प्रमुख वाणिज्यिक मात्स्यिकी को संपोषित करता है। इस बुलेटिन में 1992 तक गुजरात तट के समीप (अक्षांश 20˚ उ से 23˚ उ) विभिन्न प्रकार के पोतों और गियर द्वारा संचालित समुद्री मात्स्यिकी संसाधनों का सर्वेक्षण विवरण प्रस्तुत किया गया है । द्वारका तथा कच्छ से दूर उत्तर क्षेत्र विश्व के सबसे समृद्ध मत्स्यन स्थानो में तुलनात्मक रुप से तुलनायोग्य अधिक उत्पादक क्षेत्र है। 1977 के दौरान एम. टी. मुरैना द्वारा 1979-80 के दौरान मत्स्य निरीक्षणी तथा 1991 92 के दौरान मत्स्य मोहिनी द्वारा किए गए तलमज्जी संसाधन सर्वेक्षण दर्शाता है कि गुजरात तट में शार्क, केट फिश पेर्चस, पोमफ्रेट, सायनिड्स, पोलिनेमिड्स, सीर फिश, क्लूपिड्स, स्क्विड एवं कटल फिश की संभाव्यता है। जैव मात्रा एवं स्टॉक घनत्व का अनुमान दर्शाता है कि अक्षांश 23˚ उ से वही गहराई के अंतर्गत उच्च घनत्व 11.3 टन/वर्ग किमी का अवलोकन किया गया। अपतट जल से 50 मी. गहराई तक कुल जैव मात्रा का आकलन किया गया। 0-50 मी. गहराई में अधिकतम संपोषित उपज 81.6% देखा गया तथा यह दर्शाता है कि गुजरात तट पेलाजिक एवं तलमज्जी संसाधनों के समुपयोजन के लिए उपजाऊ है।

बुलेटिन सं. 22* (1992)

लक्षद्वीप के मात्स्यिकी संसाधन

पी सिवराज, एम ई जॉन तथा टी ई सिवप्रकासम

संघ राज्य क्षेत्र लक्षद्वीप अक्षांश 8˚ और 12 30 उ. तथा देशांतर 71 तथा 74 पूर्व के बीच कुल भू क्षेत्र 28.5 वर्ग कि. मी के साथ 10 वास योग्य द्वीप तथा 17 अवास योग्य द्वीपों का समूह है। द्वीप में वार्षिक मछली उत्पादन 1979-88 अवधि के दौरान औसत 4820 टन के साथ 2896 से 7298 टन के बीच घटता बढ़ता गया। पोल और लाइन प्रमुख मत्स्यन प्रणाली है तथा स्किपजेक टूना पकड़ के मुख्य घटक है। भा. मा. स. ने 1983-88 के दौरान मत्स्य सुगन्धी से विस्तार टूना लाँग लाइन सर्वेक्षण किया। येलो फिन टूना की उच्च हूकिंग दर रिपोर्ट की गई है। क्षेत्रवार एवं ऋतुवार सर्वेक्षण का परिणाम प्रस्तुत किया है। बेस्से डी पेड्रो बैंक में ट्रॉल सर्वेक्षण पोत मत्स्य वर्षिनी ने बोट्टम ट्रॉलिंग संचालित किया है और इसका परिणाम बुलेटिन में चर्चा की है। फिन फिश के अतिरिक्त, द्वीप समूह समुद्री खीरा एवं आक्टोपस जैसे संसाधनों से संपन्न है। मात्स्यिकी विकास के भावी संभावनाओं पर यह बल दिया जाता है कि बड़े पर्स सीन, पोल एवं लाइन तथा लाँग लाइन पोतों को लगाकर वाणिज्यिक प्रचालन द्वारा अशोषित टूना संसाधनों का शोषित किया जाना है।

बुलेटिन सं. 23* (1992)

स्क्विड के जीवविज्ञान पर नोट के साथ भारत में समन्वेषी स्क्विड जिग्गिंग

पर्ची-1. भारत के पश्चिम तट से दूर समन्वेषी स्क्विड जिग्गिंग का विवरण

के एन वी नायर, टी वी नैनान, श्री पी जे जॉसफ तथा एन जगन्नाथ

भा. मा. स. द्वारा किए गए तलमज्जी संसाधन सर्वेक्षण सभी भारतीय तट के समीप सेफेलोपोड के लिए संभाव्य स्थान का अस्तित्व प्रकट करता है। स्क्विड संसाधनों के समन्वेषण के लिए भा. मा. स. द्वारा एक विविधीकृत मत्स्यन प्रणाली अर्थात स्क्वि़ड जिग्गिंग प्रारंभ किया था। इस शोध कागजात में जून 1988 से 1989 तक के दौरान टूना लाँग लाइनर एवं स्क्विड जिग्गिंग पोत मत्स्य सुगन्धी द्वारा दक्षिण पश्चिम तट से दूर संचालित स्क्विड जिग्गिंग का परिणाम प्रस्तुत किया है। गुजरात तट के समीप ट्रॉलर मीना प्रापी पर सीमित स्क्विड जिग्गिंग प्रचालन का प्रयास किया गया था। स्क्विड जिग्गिंग की क्रिया विधि तथा इन्स्टूमेन्टेशन का विवरण की चर्चा की गई है। पोत मत्स्य सुगन्धी ने 25-200 मी. गहराई क्षेत्र में अक्षांश 8 उ तथा 17 उ के बीच नेरिटिक स्क्विड के लिए तथा 500 गहराई क्षेत्र से दूर के क्षेत्र में अक्षांश 10 उ.-14 उ. के बीच महासागरीय स्क्विड के लिए जिग्गिंग संचालित किया। माहवार एवं क्षेत्रवार परिणाम की चर्चा की है। स्क्विड के विविध प्रजातियाँ अर्थात लेलिगो डुवयूसेल्ली, डोरिटेयूथिस एस पी पी तथा सिम्प्लेक्टोटियूथिस एस पी पी के संबंध में जैविक अध्ययन का परिणाम इस शोध कागजात में प्रस्तुत किया है।

पर्ची -2. स्क्विड का जीव विज्ञान

के पी नायर, एम एम मेय्यप्पन, पी एस कुरियाक्कोस, पी सर्वेक्षण, ए पी लिफ्टन, एस मोहम्मद, पी के अशोकन, एम जॉसफ तथा डी नागराज

अक्षांश 8˚-17˚ उ के बीच पश्चिमी तट के समीप स्क्विड जिग्गिंग में प्राप्त स्क्विड का जीव विज्ञान इस शोध कागजात में प्रस्तुत किया गया है । प्रचालन की गहराई 20-200 मी गहराई के आसपास रही। जिग्गिंग सर्वेक्षण में लिए गए स्क्विड तीन वंश अर्थात लोलिग, डेरियूथिस तथा सिम्प्लेक्टोयूथिस का है। स्क्विड के तीन वंश का आकार संयोजन, लिंग अनुपात, परिपक्वन तथा लम्बाई-वजन संबंध पर अध्ययन की चर्चा की है । नर लोलिगो डुवयुसेल्ली की पृष्ठीय मेन्टिल लम्बाई 50 मि. मी. से 310 मि. मी. के आसपास रही। मादा 50 मिमी-230 मिमी के बीच लम्बाई में छोटी थी। नर की लम्बाई आवृत्ति 125 मिमी के रुप में मॉडेल साइज सूचित किया है तथा मादा मल्टी मॉडेल या बाई मॉडेल वितरण दर्शाई है। लम्बाई के संबंध में वजन में वृद्धि दर, लिंगो में विविधता पाई गई। डोरियूथिस प्रजाति नर में बहुरुपात्मक वितरण था तथा मादा में 145-156 मि मी क्षेत्र मॉड के साथ द्विरुपात्मक वितरण था। नर-मादा अनुपात 66:34 था। सिम्प्लेक्टोटियूथिस औलेनियनसिस नर का आकार 80-190 मिमी तथा मादा का आकार 80-250 मिमी के आसपास था । 100-200 मिमी लम्बाई के आसपास स्क्विड कुल संख्या के 99% योगदान किया। परिपक्व नर का सबसे छोटा आकार 90 मिमी था तथा परिपक्व मादा का 100 मिमी था । लिंग अनुपात 36:64 के साथ नर, मादा से संख्या में अधिक था। आगे यह अवलोकन किया जाता है कि उपर्युक्त तीन वंश की प्रजातियाँ कृत्रिम प्रकाश की ओर आकर्षित की जा सकती है तथा किशोर मछलियों को बिना कोई प्रभाव से जिग्ग की जा सकती है। यदि प्रणाली आर्थिक रुप से उपयुक्त हो तो यह स्क्विड के पैदावार के लिए सबसे उपयुक्त मत्स्यन प्रणाली होगी।

बुलेटिन सं. 24* (1992)

पर्ची -1. भारत के उत्तर पूर्वी तट के समीप भारतीय ड्रिफ्ट फिश अरियोम्मा इण्डिका (डे) के वितरण और जीव विज्ञान पर अवलोकन

पॉल पाण्डियन तथा के पी फिलिप

अरियोम्मा इन्डिका भारतीय तट के समीप प्राप्त होने वाली नेरिटिक गहन जल मछली है । भारतीय मात्स्यिकी सर्वेक्षण द्वारा समन्वेषी सर्वेक्षण पूर्वी तट में 50-150 मी गहराई में तथा पश्चिम तट में 50-100 मी गहराई में इन प्रजातियों की उपलब्धि सूचित करती है। उत्तर पूर्वी तट के समीप स्टॉक के योगदान स्वरुप एवं जीव विज्ञान इस अध्ययन में प्रस्तुत है। 1988-90 की अवधि के दौरान भा.मा.स. के पोत मत्स्य दर्शिनी पर बोट्टम ट्रॉल सर्वेक्षण द्वारा संग्रहित आँकडे़ का प्रयोग किया गया । नर एवं मादा के लिए अलग से लम्बाई वजन संबंध का आकलन किया गया। लम्बाई आवृत्ति वितरण अधिकांश नमूनों में एकल मॉड संकेत किया है । लिंग अनुपात नर की प्रधानता दर्शाता है। प्रणालियों का वितरण स्वरुप 140 मी गहराई तक उपलब्धि दर्शाई है तथा 50-100 मी गहराई क्षेत्र से उच्च पकड़ दर प्राप्त हुई। फरवरी माह में उच्च पकड़ दर पाई गई।

पर्ची -2. 1988-90 के दौरान 7˚ उ एवं 11˚ उ के बीच दक्षिण पश्चिम तट, वेड्ज बैंक एवं मन्नार की खाड़ी के समीप तलमज्जी संसाधन सर्वेक्षण पर अवलोकन

टी वी नैनन, वी सिवाजी, एन जगन्नाथ एवं एल रामलिंगम

अप्रैल 1988 से मार्च 1990 के दौरान पोत मत्स्य निरीक्षणी द्वारा दक्षिण पश्चिम तट, वेड्ज बैंक एवं मन्नार की खाड़ी के समीप अक्षांश 7˚ उ और 11˚ उ के बीच तलमज्जी संसाधन सर्वेक्षण का परिणाम इस पर्ची में प्रस्तुत किया है। स्तरित यादृच्छिक नमूनीकरण के बाद सर्वेक्षण संचालित किया गया। गहराई क्षेत्र 30-500 मी था तथा कुल नमूना प्रयास 3080 था। पकड़ संयोजन में विविधता तथा अक्षांश, गहराई क्षेत्र एवं ऋतुओं के संदर्भ में सी पी यू इ की चर्चा की गई। दक्षिण पश्चिम तट के तलमज्जी स्टॉक का जैव मात्रा 83,200 टन परिकलित किया है। वेड्ज बैंक एवं मन्नार की खाड़ी में अनुमानित जैव मात्रा क्रमशः 89,200 टन एवं 16,190 टन है अधिकतम संपोषित उपज का अनुमान इस पर्ची में दिया है।

पर्ची -3. टूना लाँग लाइनिंग द्वारा भारतीय अनन्य आर्थिक क्षेत्र के अण्डमान जल में पकड़ी गई येलो फिन टूना (थून्नस अलबकेरस) का आहार एवं आहारी आचरण पर एक अध्यययन

के विजयकुमारन, पी एस परसुरामन एवं जी नागराजन

अण्डमान जल से लाँग लाइन गियर में प्राप्त येल्लो फिन टूना का आहार एवं आहारी आचरण पर एक अध्ययन किया गया है। कुल 188 नमूनों का आँत्र अन्तर्वस्तु विश्लेषण किया गया। यह पाया गया है कि प्रति येल्लो फिन टूना के उदर वस्तु का औसत वजन 106 ग्राम था, जिसमें 93.43% शिकार, 3.8% अर्ध पचा हुआ भोजन तथा 2.8% पची हुई सामग्री शामिल है। नर का आहार ग्रहण मादा से उच्च पाया गया। एक येल्लो फिन टूना प्रति दिन एवं प्रति वर्ष उपभोज्य शिकार क्रमशः 507 ग्राम एवं 185 कि. ग्रा अनुमानित किया है। जिसमें गहन समुद्र मछलियाँ 13.5% अन्य टेलिओस्ट 2.5% सेफेलोपोड्स 30.8% तथा क्रस्टेशियन्स 30.3% शामिल है।

पर्ची -4. मत्स्य जीवन द्वारा प्रचालित 27.5 मी बोट्टम ट्रॉल का जाल चयनात्मकता पर अध्ययन

टी ई सिवप्रकासम, के विजयकुमारन, पी एस परसुरामन तथा एस ए राजकुमार

आच्छादित कोड एण्ड प्रणाली द्वारा ट्रॉल जाल चयनात्मकता पर अध्ययन का परिणाम इस पर्ची में प्रस्तुत है। जुलाई-अगस्त 1988 के दौरान तमिलनाडु एवं आन्ध्र प्रदेश तट के समीप मात्स्यिकी संसाधन सर्वेक्षण में लगे हुए भा. मा. स. का सर्वेक्षण पोत मत्स्य जीवन पर अध्ययन किया गया। अध्ययन की गई प्रजातियाँ नेमिप्टेरस जपोनिकस, सौरिडा तुम्बिल, डीकेप्टरस रस्सेली, सेक्यूटर इनसिडेटर, जेरस सेटिफेर, उपनियस विटाटस, यू सलफूरियस तथा स्पैरेना ओबटुसेटा थी सभी आठ प्रजातियों के लिए जाल चयन कारक निर्धारित था।

पर्ची -5. टूना लाँग लाइनर्स से टूना संसाधन लागत एवं उपार्जन

के विजयकुमारन, ए एनरोस तथा जे ई प्रभाकर राज

यद्यपि भारतीय जल में बृहत टूना संसाधन है, शायद ऐसे साहसिक कार्य आर्थिक व्यवहार्यता परिकलित न करने के कारण, मत्स्यन उद्योग उपयोजन के क्षेत्र में अब तक प्रवेश नहीं किया है। इस शोध कागजात में पूँजी एवं परिवर्तनशीलता लागत, लागत लाभ अनुपात, बट्टा नकद बहाव तथा प्रति लाभ का प्रतिशत पर विचार करते हुए आर्थिक पहलुओं को विश्लेषित करने का प्रयास किया है। भारतीय अनन्य आर्थिक क्षेत्र में प्रचालित 14 चार्टींकृत विदेशी पोतों द्वारा टूना लाँग लाइनिंग का परिणाम पर पकड प्रक्षेपण आधारित है। भा. मा. स. का 36.5 मी लाँग लाइन सर्वेक्षण की पूँजी एवं प्रचालन लागत, समुचित समायोजन, आर्थिक विश्लेषण का आधार बना है। एक साल के लिए एक पोत का लागत एवं प्रति लाभ विश्लेषण 0.683 का लागत हित अनुपात 0.794 का कुल लाभ अनुपात 0.285 का निवल लाभ अनुपात दर्शाता है। परियोजना पर खर्च करने की अवधि 1.39 वर्ष है। निवल वर्तमान मूल्य अत्यंत सामान्य (6389330) है जो यह (दर्शाता) कि परियोजना आर्थिक रुप में व्यवहार्य है।

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